जबसे तुमने मुह मोड़ा है
सूना सा हर त्यौहार रहा
जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
तुम्हरे संग सावन सावन था
तुम्हरे संग फागुन था फागुन
जब से विरहन का रंग चढ़ा
भाए न अब कोई मौसम
जब तेरे प्रेम का रंग नहीं तो
सिन्दूर का रंग उजाड़ रहा
जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
सात जनम का साथ रहे
कुल की मर्यादा हाथ रहे
सुख ,दुःख में पल पल के साथी
हम तुम भी थे दीपक बाती
पर प्रेम के सब आधार गए
तुम और कहीं दिल हार गए
अब मन से मन का मेल नहीं
बस बातों का कारोबार रहा .....
जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
तुम बिन भाता श्रृंगार नहीं
दर्पण पर भी अधिकार नहीं
सारे गहनों से मन रूठा
जब तेरी बाँहों का हार नहीं
मंगल सूत्र का 'मंगल' गया
काले मोती का व्यवहार रहा .....
जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
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14 comments:
जब सब टूट ही गया तो फिर कोई वचन काम नही आता ………सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता।
अभी इस सोच से हम बहुत दूर हैं :)
सादर
प्रेम पल्लवित करना ही सात वचनों का आधार है...
ऐसे तो इस तरह कि घटना नही होनी चाहिए हमें आपसी समझदारी, भावनात्मकता, परिवारिक पृष्ठभूमि, प्रतिष्ठा और जिम्मेवारियों को समझते हुए रिश्ते को बंधन कि तरह से नही सम्बन्ध कि तरह से जीना चाहिए| पर हर कोशिश नाकाम हो जाय तो रिश्तों को लाशों कि तरह ढोने का कोई अर्थ नही ....दिल को मजबूत कर इनका अंतिम संस्कार हि श्रेयस्कर है|
सात वचन पढवाए नहीं जाते , सात वचन मन की अग्नि के आगे स्वतः लिए जाते हैं .... यातनाएं तोड़ती हैं , इससे वचनों का मूल्याँकन ख़त्म नहीं होता
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.बधाई कनु जी.
रिश्ते मन की भावनाओं से जुड़ते हैं...वचन और कर्म से नहीं..
बहुत सुन्दर रचना कनु जी..दिल को छू गयी..
जब प्यार ही नहीं रहा तो फिर किसी भी चीज़ का मोल ही कहाँ रह जाता है रिश्तों में बहुत ही बढ़िया भाव सन्योंजन किया है कनू ....
विरह की भावना का सुंदर चित्रण रचना बहुत अच्छी लगी
एक दुसरे के लिए मन की भावनाए दिल से समर्पित हो,तब रिश्ते बनते,इन्ही रिस्तो को ताउम्र कायम रखने के लिए सात फेरे लेते समय आपस में वचन लेते है,....
बहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई .
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बहुत उम्दा...बेहतरीन!!
अच्छी प्रस्तुति
बहुत सारगर्भित रचना है.
अगर समझें
सात वचनों का मर्म!
जुड़ जाता है जन्म-जन्मान्तर का सम्बन्ध!
नहीं समझे तो रिश्तों नातों का
मिट जाता है अनुबन्ध!!
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