कुछ टुकड़ों टुकड़ों में लिखी हुई पंक्तियाँ है आज बस यही....
1) जानते है इश्क में दिल टूटते हैं बेतरह
पर हर शय में थोडा सा तड़क जाने को जी चाहे
राहे मोहब्बत में भूल भुलैया भी मिलेगी
सब जानते हुए भी भटक जाने को जी चाहे
तुम कहते रहो की दूर रहो आग हू जल जाओगे
पर इस आग में शोले सा धधक जाने को जी चाहे
तुम चाँद की किरणों से चमकते हुए नूर
अँधेरा बनकर तेरी रौशनी में सिमट जाने को जी चाहे......
2)
चाँद चांदनी के किस्से बड़े पुराने हो गए
अपना इक किस्सा गढ़ दे उन दोनों को शरमा दे हम
सागर और लहरों की बातें बेगानी सी लगती है
अपनी कुछ बातें खास करें कुछ गीत नए बना दे हम
तुमने मुझको छुपकर देखा मैंने मन ही मन समझ लिया
तुम मुझमे हो मैं तुममे हूँ आ दुनिया को समझा दे हम
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
1) जानते है इश्क में दिल टूटते हैं बेतरह
पर हर शय में थोडा सा तड़क जाने को जी चाहे
राहे मोहब्बत में भूल भुलैया भी मिलेगी
सब जानते हुए भी भटक जाने को जी चाहे
तुम कहते रहो की दूर रहो आग हू जल जाओगे
पर इस आग में शोले सा धधक जाने को जी चाहे
तुम चाँद की किरणों से चमकते हुए नूर
अँधेरा बनकर तेरी रौशनी में सिमट जाने को जी चाहे......
2)
चाँद चांदनी के किस्से बड़े पुराने हो गए
अपना इक किस्सा गढ़ दे उन दोनों को शरमा दे हम
सागर और लहरों की बातें बेगानी सी लगती है
अपनी कुछ बातें खास करें कुछ गीत नए बना दे हम
तुमने मुझको छुपकर देखा मैंने मन ही मन समझ लिया
तुम मुझमे हो मैं तुममे हूँ आ दुनिया को समझा दे हम
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
17 comments:
सुन्दर रचना , सुन्दर भाव, बधाई.
पधारें मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी, मुझे आपके स्नेहाशीष की प्रतीक्षा है.
SUNDAR...
प्यार के कठिन भाव की सरलता सहजता से अभिव्यक्ति
पहला शेर बहुत अच्छा है ........दाद कबूल करे|
प्रेम की सुन्दर सहज अभिव्यक्ति बहुत अच्छी लगी ....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही सुन्दर.............. मेरे ब्लॉग पर आपको आमंत्रित करता हूँ।
बेहतरीन।
सादर
सही बहुत सही
प्यार को अँधा यूं ही नहीं कहा गया.
बधाई.
मेरे ब्लॉग को पढने और जुड़ने के लिए क्लीक करें इस लिंक पर.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
bahut khoob sunder abhivyakti....badhai .
दोनों ही रचनाये बहुत ही सुन्दर है..
पहलेवाली तो बहुत ही अधिक सुन्दर है...
ये जानते हुए भी की इश्क में कुछ न मिलेगा फिर इश्क की आग में जल जाने को जी चाहता है...
बहुत ही सही बात कही है...
गहरे भाव और सुन्दर अभिव्यक्ति...
mauryareena.blogspot.com
संस्कार कविता संग्रह में आपका स्वागत है..
बहुत सुन्दर लिखा है आपने...आभार...
अन्धेरा बनाकर तेरी रोशनी में सिमट जाने को जी चाहे....
सुन्दर रचना....
बहूत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
सुंदर अभिव्यक्ति बढ़िया रचना,....
welcom to--"काव्यान्जलि"--
Very useful reading. Very helpful, I look forward to reading more of your posts.
Atti sunder......!!!!!
Atti sunder......!!!!!
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