सबसे पहले तो बहुत बहुत धन्यवाद् उन सारे १०० लोगो का जो मेरे ब्लॉग को फोलो कर रहे हैं...आप लोगो की दुआओं से में लिख पा रही हूँ .कई दिन से प्रेम पर विरह पर लिख रही हू पर २४/११/२०१२ को शरद पवार जी के साथ जो हुआ ,सरकार ने बाहरी निवेश को लेकर जो निर्णय लिया उसपर कुछ पंक्तिया लिखी है...आज उन्ही को आपसे साझा कर रही हू. कभी कभी मन अपने ट्रैक से अलग सोच लेता ये कविताएँ उसी के कारण जन्मी हैं...आखिर हम सब समाज का हिस्सा है और समाज की घटनाओं का हम पर असर होना लाज़मी सा है ......
२४/११ को मुंबई में शरद पवार काण्ड का भारी असर देखा गया.ऑफिस से घर जाने में पसीने आ गए लोगो को ,बस ट्रेन सब में गज़ब की भीड़ ,रोड़ो पर जाम .......२५ को पुणे अमरावती और महाराष्ट के कई शहर बंद रहे बस वही सब दिल में आ गया.....
1)
कही मौत का बढ़ रहा काम देखो
किसानो को पल भर ना आराम देखो
गरीबों की रोटी के ना ठिकाने
शरीफ ही हो रहे हैं बदनाम देखो
आम इंसान जलता है फर्क भी नहीं
लूट मची है सरे-आम देखो
जरा सी चोट पर सारी मुंबई भड़का दी
एक थप्पड़ का क्या होता है अंजाम देखो
किसानो को पल भर ना आराम देखो
गरीबों की रोटी के ना ठिकाने
शरीफ ही हो रहे हैं बदनाम देखो
आम इंसान जलता है फर्क भी नहीं
लूट मची है सरे-आम देखो
जरा सी चोट पर सारी मुंबई भड़का दी
एक थप्पड़ का क्या होता है अंजाम देखो
२)
उसे कैसे इंसान कह दे बताओ
जो शांति नहीं बस कलह चाहता है
धर्मों को बेदर्द दीवारें बनाकर
दिलों में दरारों का असर चाहता है !१!
हमें यू ना बाटों, हमें यू ना तोड़ो की
हर इंसान शांति की सतह चाहता है
सबके अन्दर छुपा वो हिरन का छौना
फुदकने की फिर से वजह चाहता है....
जो शांति नहीं बस कलह चाहता है
धर्मों को बेदर्द दीवारें बनाकर
दिलों में दरारों का असर चाहता है !१!
हमें यू ना बाटों, हमें यू ना तोड़ो की
हर इंसान शांति की सतह चाहता है
सबके अन्दर छुपा वो हिरन का छौना
फुदकने की फिर से वजह चाहता है....
आधुनिकता जरुरी है,शायद सुविधजनक भी पर बात जब आधुनिकता से आगे बढाकर भारत में विदेशी निवेश तक पहंची है तो मन में कुछ पंक्तिया आ गई जो पन्नों पर उतार दी.....
३)
कांदा -रोटी खाकर ही प्रभु के गुण गाएँगे
फटे हुए कपड़ों में रेशमी, पेबंद लगाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे (कांदे =प्याज़ )
जनता की नई इमेज होगी
चाहे फटी कमीज़ होगी
जो थोडा बहुत गरीब कमाता
वो भी गोरे ले जाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
ताज़ी सब्जी सपने में होगी
सोंधी खुशबु बस बातों में होगी
कोल्ड स्टोरेज का कचरा
पेटों में भरते जाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
जमाखोरी बढ़ जाएगी
अपनी चीज़ें महंगे पेकेट में बंधकर आएगी
बासी पुरानी चीज़ खरीदकर
किस्मत पर इतराएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
फटे हुए कपड़ों में रेशमी, पेबंद लगाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे (कांदे =प्याज़ )
जनता की नई इमेज होगी
चाहे फटी कमीज़ होगी
जो थोडा बहुत गरीब कमाता
वो भी गोरे ले जाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
ताज़ी सब्जी सपने में होगी
सोंधी खुशबु बस बातों में होगी
कोल्ड स्टोरेज का कचरा
पेटों में भरते जाएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
जमाखोरी बढ़ जाएगी
अपनी चीज़ें महंगे पेकेट में बंधकर आएगी
बासी पुरानी चीज़ खरीदकर
किस्मत पर इतराएँगे
पर अहसान बड़ा है नेताओं का
जल्दी ही सारे भारतीय ब्रांडेड कांदे खाएंगे
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
31 comments:
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
वैसे ये 100 बहुत कम हैं...फिर भी आपको बहुत बहुत बधाई। कामना है कि जल्द ही इससे कहीं ज़्यादा लोग आपको पढ़ें।
सादर
बिल्कुल सही कहा आपने……………आज इस दर्द से सभी पीडित हैं।
बधाई हो जी :-)
BEHATAR
waah...bahut hi badhiyaa
बेहतरीन प्रस्तुति...बधाई..
देश को दिशा दिखाने के प्रयास चल रहे हैं।
Just desired to comment and say which i genuinely like your weblog structure plus the way in which you create too. It’s very refreshing to see a blogger like you.. keep it up
From everything is canvas
बहुत-बहुत बधाई हो!
अब तो इनके आगे ज़ीरो बढ़ते ही जाएँगे।
--
हमारे उनके ब्लॉग उच्चारण पर भी तीन कम चार सौ और चर्चा मंच पर 710 फालोवर हो गये हैं।
bahut bahut dhanyawad aap sabhi ka....
हर इंसान शान्ति की सतह चाहता है....
वाह! सुन्दर...
सभी रचनाये अच्छी हैं...
सादर बधाई...
भावप्रद रचनायें।
thaknaa nahee
ruknaa nahee
nirantar chalte raho
sau mein jud jaayenge
saikdon sau
बहुत अच्छा लिखती हैं आप.
बधाई आपको .
accha lekhan bahut bahut badhai
आज के परिवेश पर सटीक लिखा है ..समसामयिक अच्छी रचना
बढिया लिखा है आपने।
मौजूदा दौर पर करारा व्यंग्य कहा जाएगा इसे।
पहले शतक (इसमें मैं भी शामिल हूं) की बधाई और आगे के शतकों के लिए शुभकामनाएं.......
सुंदर रचना
ढेरो सुभकामनाएँ !
एकदम सटीक लिखा है...... उम्दा पंक्तियाँ
अस्सी नब्बे पूरे सों
जल्दी हो जाये पाँच सों
बहुत बहुत बधाई कनु जी.
आप लिखतीं ही इतना अच्छा हैं
कि आप के पाँच सों क्या हजार भी
फालोअर हो जाएँ तो कम हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.
नही बनी हों तो,मेरी फालोअर भी बन जाईयेगा जी.
आप का सोचना सही है
खुशी और गम को एक ही पोस्ट में बाँध दिया आपने..
तीनो कवितायें अच्छी लगीं!!
विचित्र समस्यायों से जूझ रहा है परिवेश!
पुरे १०० के लिए बधाई!
बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
मुबारक हो. हमारे देश के नेताओं के क्या कहने. बेहद खूबसूरती से आपने लिखा है.
बिल्कुल सही.
बेहतरीन प्रस्तुति,..
१०० के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें,...
मेरे पोस्ट पधारें स्वागत है
१०० फोलोवार्स की बधाई ..... आगे गिनती में मैं भी शामिल हूँ....
हार्दिक शुभकामनायें!
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I would like to say thanks for giving us such nice information.http://www.sunnyessays.com/get-my-college-essay-written
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