मैंने अपनी पिछली पोस्ट मैं भी कहा था इश्क करने लगना अलग बात है और इश्क लिखने लगना अलग ...वेसे देखा जाए तो कोई बड़ा सा फर्क नहीं पर, बारीक सी रेखा भी गहरी सी है..अलगाव,त्याग,विरह सब इसी से जन्म लेते हैं और जब इंसान इश्क में होता है तो वो हर बात पर सोचता है गोया भविष्य देख लेना चाहता हो ,तोल लेना चाहता हो खुद को हर कसोटी पर ,वैसे कसौटियों का क्या है ये बदलती रहती है हर इंसान हर भावना के साथ....किसी ने मेरी पिछली पोस्ट के कमेन्ट में कहा आप इश्क को गलत ढंग से समझ रहीं हैं ,शायद उनकी बात सही हो पढ़कर अच्छा लगा की मुझे पढ़ा जाने लगा है ,मैं जो समझ रही हू वो कही गलत न हो इस बात पर गौर किया जा रहा है... मुझे लगता है हर इंसान इश्क को अपने अलग ढंग से ही समझता है और समझना भी चाहिए क्यूंकि इश्क मैं कॉपी कैट वाला फंडा लागू नहीं किया जा सकता...वेसे अभी मेरी उम्र ही क्या है न इश्क समझने की न जिंदगी समझने की फिर भी कोशिश कर रही हु....समझने की नहीं लिखने की...शायद लिखते लिखते समझ जाऊ...या समझते समझते लिखने लगी हू.......
कुछ छोटी छोटी कविताएँ ,कुछ मुक्तक लिखे है आज वो आप सब के सुपुर्द कर रही हु...
आम बन जाओ
जानती हू तुम दिल की दिल में रखते हो
हमेशा शांत रहते हो कभी कभी बरसते हो...
यूँ सब समाकर ना रखो, छलकता जाम बन जाओ
कभी तो ख़ासपन छोड़ो ज़रा से आम बन जाओ
बदनाम हो जाए..
हर एक लम्हा तुम्हारी याद में तमाम हो जाए
तुम्हारा नाम जुड़ जाए और हम गुमनाम हो जाए
राहे मोहब्बत से बस इतनी सी तमन्ना है
तुम्हारे इश्क में हम भी ज़रा बदनाम हो जाए....
पलटकर नहीं देखा
कश्ती डूब गई इसकी भी अपनी वज़ह थी
मै लहरे मोह्हबत में रही, मैने गहराई-ए -साग़र नहीं देखा
जो फासले बढे उनका गुनाहगार कौन हो?
मैं धीरे चली और तुमने पलटकर नहीं देखा
बस इश्क की बंदिश होती है
जो लोग कहते हैं इश्क अमीरों का काम है
कोई उन्हें बताए फकीरी में भी मोहब्बत होती है
ख़ामोशी में ही दिल की गहराई में लावा पकता है
जब घुटन बेइंतेहा बढती है तभी बगावत होती है
अपनों को अपना बनाकर रखना ही मुनासिब है
बर्बाद किसी को करने में अपनों की ही साजिश होती है
दीवारों के पीछे कुछ आवाजें घुटती रहती है
उन्हें लोगो का डर नहीं होता बस इश्क की बंदिश होती है .
बस आज के लिए इतना ही अगली पोस्ट पर त्याग और अलगाव की कुछ पंक्तियाँ डालूंगी.....
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
26 comments:
जीवन और जीवन से संबंधित अहसासों का अनुभव सबका अपना-अपना होता है. आपने स्वयं को अभिव्यक्ति दी, यह महत्वपूर्ण है.
सुंदर पोस्ट.
बहुत रोचक अभिव्यक्ति
Bahut khub kha kanu......
Waise ishq byan krna utna hi easy h jitna samjhna mushkil h
ri8
आप वाकई बहुत अच्छा और दिल की गहरायिओं से लिखती हैं.....
अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
behad khoob......
इश्क करने लगना एक बात है - मोहतरमा हमारा नज़रिया ये कहता है इश्क तो कभी 'किया' ही नहीं जा सकता 'वो आतिश जो लगाये न लगे' .....बस हो जाता है |
हाँ इश्क लिखना ज़रूर मुश्किल काम है.....क्योंकि हर इंसान की इसकी परिभाषा उसके अपने अनुभव पर ही आधारित होती है तभी तो 'प्रेम' सनातन काल से ही मुख्य विषय रहा है........बाकी शेर आपके अच्छे लगे|
इन भावों को व्यक्त करने में शब्द बहुधा अन्याय कर जाते हैं।
IT IS BEYOND DESCRIBE
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी,साधुवाद..
' मैं धीरे चली और तुमने पलटकर नहीं देखा '
सामंजस्य न हो तो कितना कुछ खो जाता है... इसका सुन्दर संकेत है इस पंक्ति में!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।
यूं तो हर दिन बहुत से ब्लोगस पर जाना होता है पर जिन्हें पढ़कर कुछ अपना सा लगता है आपका ब्लॉग भी उनमें से एक है।
'पलट कर नहीं देखा' बहुत अच्छी लगी।
सादर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई
वाह! बहुत सुन्दर...
पलटकर नहीं... को पढकर जनाब बशीर साहब याद आ गये...
आँखों में रहे, दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ति के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा...
उम्दा रचनाएं हैं कनु जी...
सादर बधाईयां...
इश्क मिजाज़ और इश्क में फर्क है...
mizaaze ishq
nahee karaataa ishq
rochak khyaal
इश्क के सबके लिए अपने मायने होते हैं... किसी के लिए दर्द तो किसी के लिए खुशी..... पर यह जज्बात होता अलहदा है...
शानदार मुक्तकों के साथ इश्क के भावों का प्रस्तुतिकरण।
सभी रचनाएं बहुत अच्छी लगी.
yun to sabhi muktak hain laajawab,
par pehle muktak pa kahunga ek baat,
ishq hua ya ishq kiya samjhna na aaya,
jazbaat dil me hi damm todte rahe jataana na aaya"........
इश्क तो अपने आपमें बंदगी ही है ... खुदा की बंदगी का दूसरा माँ इश्क है ... बहुत लाजवाब हैं सभी क्षणिकाएं ..
nice poem which have been evolved directly from the heart.
specially, "Kasti doob gayi..."
and "har ek lamhaa".
I like it very much.
बहुत ही अच्छा लगा पढ़ के .........लिखते रहिये :)
bahut khoob...lagta hai ishq ko fir se samajhne ki jarurat padegi mujhe...lekin soch raha hu ki likh kar samajhu ya samajh kar likhu ya fir ishq karke use samajha jaye...
It's obviously what I am looking for , very great information , cheer!
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