प्रेम करना भी एक अलग अहसास है ,मुझे लगता है मोह्हबत होने के लिए किसी एक शक्श का होना जरुरी नहीं होता...कुछ लोग बस मोहब्बत करने के लिए ही बनते हैं...वो एक शख्स उनकी जिंदगी में आ गया वो उसपर सारी मोहब्बत लुटा देते हैं...और अगर वो शख्स ना लेना चाहे तो पन्नो पर ,दीवारों पर ,रंगों में ,बातों में हर जगह मोहब्बत उढेल देना चाहते हैं ....इन लोगो को हर चीज़ से प्यार हो जाता है कभी ग़ज़लों से ,कभी आइसक्रीम से,कभी ठंडी हवा से ,कभी तस्वीरों से ,बातों से यहाँ तक की कभी कभी ख़ामोशी से भी ...क्यूंकि ये बस मोहब्बत करने के लिए बने होते हैं...पर एसे लोगो के साथ बस एक ही बुरी बात होती है ये जिस तरह बेपनाह मोहब्बत करते है...उसी तरह बेपनाह नफरत और बगावत भी करते है.....
प्रेम और विरह दोनों को लिखना शायद थोडा आसान है पर करना उतना आसान नहीं जितना दीखता है ,मोहब्बत अपने साथ तकलीफें लाती है पर ये भी उतना ही बड़ा सच है की मोहब्बत की उम्मीद पर अपने चाहने वाले से हद की मोह्हबत न मिलना ,विरह से ज्यादा खतरनाक है क्यूंकि विरह में मिलने की उम्मीदें होती हैं पर बेरुखी से आहत इंसान नाउम्मीद सा हो जाता है और यही नाउम्मीदी बगावत को जन्म देती है कभी कभी...
एक छोटी सी कविता लिखी है...इसे किस श्रेणी में डाला जाए ये मैं नहीं जानती पर...लिखा दिल से है इसकी तसल्ली है दिल को.
बस एक तुम ही ,तुम हो बस एक मैं ही ,मैं हूँ
शिकायत भी करती हूँ तो बस तुमसे करती हूँ
अपने लोग अपना घर छोड़कर इन शहरों में आना
ये अकेलापन भी खाता है ,और भीड़ से भी डरती हूँ
शहर की सड़के बड़ी जालिम जाने कब पैरों से खिसक जाए
शायद इसलिए पकड़कर तुम्हारा हाथ चलती हूँ
मेरे तो सारे के सारे विषय ना जाने कहाँ खो से गए
अब बस तुमको लिखती हूँ और बस तुमको पढ़ती हूँ
जब तुम देखते ही नहीं तो ,दिखने का मतलब क्या ?
महीनों से खुद को नहीं देखा ,अब आईने से डरती हूँ
तुम सोच सकते हो हजारों बातें दुनिया की
मेरी दुनिया तुम्ही से शुरू तुम्ही पर ख़तम सी हुई
सोचती हूँ ,मोहब्बत करू तो करू कितनी?
सच कहू ?थोड़ी नफरत भी करती हूँ तो बस तुमसे करती हूँ ......
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
21 comments:
महीनों से खुद को नहीं देखा, आईनों से डरती हूँ...
वाह! सुन्दर रचना...
सादर बधाई..
मुहब्बत करने के लिए किसी शक्स का होना ज़रूरी नहीं .... बिल्कुल , प्यार तो एक एहसास है, कल्पना है
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..
सच तो यही है तुम जिससे प्रेम करते हो...........उसी से नाराज़ भी होते हो.....क्योंकि ये तुम्हारा हक है :-)
क्या गजब का लिखा है आज आपने। और सबसे आखिरी 2 पंक्तियाँ क्या कहूँ ....Superb!
सादर
ek hee baar men saare ehsason ko likh diya aapne, magar ek baat kahun kahin suna tha kabhi "pyar,ya mohobaat zindagi main har insaan ko ek baar zarur karna chaahiye kyun pyar insaan ko behad accha aur khubsurat banaa detaa hai". magar is post ke zariye aapne mohobaat men aaye uttar chadhavon ko bahut hee khubsurti ke saath ukera hai .... sundar rachna bhadhai....
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
वाह! सुन्दर रचना..
aabhi lagta hai aap apne aap se hi mohabat karte hai ,mohabat ka matlab ye katai nahi hai jo aapne apne zaham me bitha rakha hai
प्यार का खूबसूरत अहसास।
बेहतरीन रचना।
अकेलापन भी नहीं स्वीकार और भीड़ से भी डर...
सुन्दर विरोधाभास है यह तो!
बहुत ही सुंदर रचना है। रचना के पहले मनोभावो का विवरण बहुत अच्छा है, बाकी रचनाकारो को इस से सीखना चाहिये। कविता, गजल आदि के पहले किस भाव मे उसे रचा गया है उसका विवरण हो तो रचना का लुफ़्त आसानी से लिया जा सकता है।
मुहब्बत के साथ नफरत का भी इज़हार ...प्रेम की पराकाष्ठा है .. सुन्दर प्रस्तुति
Bahut bahut bahut khubsurat :)
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आना। रचना भी अच्छी लगी।
laazwaab post...
kamal ki likhati ho dear.....
age se to itni badi nahin lagti ho jitni ki baton gahrai hia.....
really supar dupar.....
akhir ki do lineon ke lie to shabd nahin hai........
uf..................god
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ
Gyan Darpan
Matrimonial Site
दिल से लिखी पंक्तियाँ दिल छू गईं,सुंदर अहसास...
you write so well that you don't need anyone's comment;
keep it up.
"sahar ki sadke..." i like
Very informative post. Thanks for taking the time to share your view with us.
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