अलग अलग विषयों पर अलग अलग समय पर ये पंक्तियाँ लिखी थी आज उन्हें इकट्ठी करके ब्लॉग पर डाल रही हू.ये पंक्तियाँ बस पंक्तियाँ ही रह गई कभी पूरी नहीं हो पाई .बस कभी फेसबुक पर लिखा तो कभी ड्राफ्ट में लिखा और छोड़ दिया .आज इन छोटी छोटी पंक्तिओं पर नजर गई तो सोचा सबसे साझा कर लू.....
मोहब्बत
जिसके ऐबों को बंद दरवाजों में छुपाकर रखा
मेरे जख्मों को वो, सरेआम कर गया
दिल के कोने में जिसकी यादों को छुपाकर रखा
जाते जाते वो मोहब्बत नीलाम कर गया
जिसकी ख़ुशी के लिए पलके बिछाई हमने
वो पलकों में मेरी आंसुओं के रंग भर गया
जिसका नाम मेरे लिए खुदा का साया था
वो सरे राह मेरा नाम बदनाम कर गया "१"
जिसके ऐबों को बंद दरवाजों में छुपाकर रखा
मेरे जख्मों को वो, सरेआम कर गया
दिल के कोने में जिसकी यादों को छुपाकर रखा
जाते जाते वो मोहब्बत नीलाम कर गया
जिसकी ख़ुशी के लिए पलके बिछाई हमने
वो पलकों में मेरी आंसुओं के रंग भर गया
जिसका नाम मेरे लिए खुदा का साया था
वो सरे राह मेरा नाम बदनाम कर गया "१"
प्यार
कोई कहता है सच्चा प्यार नहीं होता
कोई कहता है ये अभी भी होता है
हम कहते है सच और झूठ का क्या पैमाना ?
प्यार तो बस प्यार है, ये बस प्यार होता है
कोई कहता है ये अभी भी होता है
हम कहते है सच और झूठ का क्या पैमाना ?
प्यार तो बस प्यार है, ये बस प्यार होता है
जुदाई
हाथ से हाथ दूर होने का गम बड़ा जालिम
मैं तुमसे जुदाई की वजह पूछ रही रही हू
तुम मेरे तड़पने का मर्म समझो या ना समझो
मैं तेरे भटकने की वजह पूछ रही हू
वो छोड़कर जाना तेरा शायद एक अदा थी
मैं आज भी तेरे दिल में मेरी जगह पूछ रही हू
तेरी खताओं का हिसाब नहीं मुनासिब
मैं तुमसे बस अपनी खता पूछ रही हू ....
मैं तुमसे जुदाई की वजह पूछ रही रही हू
तुम मेरे तड़पने का मर्म समझो या ना समझो
मैं तेरे भटकने की वजह पूछ रही हू
वो छोड़कर जाना तेरा शायद एक अदा थी
मैं आज भी तेरे दिल में मेरी जगह पूछ रही हू
तेरी खताओं का हिसाब नहीं मुनासिब
मैं तुमसे बस अपनी खता पूछ रही हू ....
और सबसे अंत में कुछ पंक्तियाँ .ये पंक्तियाँ करवाचौथ पर लिखी थी जब कई लोग बार बार ये मुद्दा उठा रहे थे की पत्नी के भूखे रहने से पति की उम्र कैसे बढ़ सकती है इस व्रत को रखने का कोई औचित्य नहीं उसी समय ये कुछ पंक्तियाँ जवाब में लिखकर डाली थी
करवाचौथ
जानती हू मेरे भूखी रहने से तेरी उम्र शायद ना बढे
पर मेरा जज्बा है इस जज्बे को इस तरह बेज़ार ना कर
...
ये पता है मुझे की मोहब्बत रोज़े की मोहताज़ नहीं
ना किसी दिखावे की जरुरत है इसे
पर मैंने जब शिद्दत से रख ही लिया रोज़ा
थोडा ऐतबार रख इस रोज़े को यू बेएतबार ना कर
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
33 comments:
अति सुंदर
करवा चौथ पर लिखी पंक्तियाँ तो गजब की हैं
'जुदाई' की अंतिम चार पंक्तियाँ और करवा चौथ वाली पंक्तियाँ सब से ज़्यादा पसंद आयीं।
सादर
gazab likhti hai aap! solid :)
ये पता है मुझे की मोहब्बत रोज़े की मोहताज़ नहीं .
.
वाह बहुत खूब लिखा है आपने ।
pyaar kisi baat ka mohtaaj nahi
क्या कहूँ आपने तो निशब्द करदीय हर एक पंक्ति इतनी खूबसूरत और सच्ची है की किसी एक को चुन कर कुछ कहना नामुमकिन सी बात है।
बहतरीन प्रस्तुति.....:-)
ये सच है पोयार तो बस प्यार होता है ... सचा झूठा तो मन बना देते हैं उसे ... लाजवाब ...
बहुत ही खुबसूरत.....
जिसके ऐबों को बंद दरवाजों में छुपाकर रखा
मेरे जख्मों को वो, सरे आम कर गया
दिल के कोने में जिसकी यादों को छुपाकर रखा
जाते जाते वो मोहब्बत नीलाम कर गया >
दिल के छूती पंक्तियाँ ।
प्यारी पंक्तियाँ...!
दिल की गहराई से निकले भावों के शब्दरूप हैं ये रचनाएँ
बहुत सुन्दर..
बहुत खूब।
बहुत अच्छी अच्छी रचनाएं ..
बधाई आपको !!
बहुत खूब! सभी रचनाएँ लाज़वाब...
बहुत सुन्दर भावो से सजी लाज़वाब रचना... .
प्यार को ख़ूब परख रही हैं आप !
bahut umda likha hai...bahut sundar bhaav.
कनु जी अभिवादन बहुत अच्छा प्रयास आप का सब बिखरे फूलों को चुन लाइए यहाँ सजाइये ...सुन्दर रचना
तेरी खातों का हिसाब नहीं मुनासिब
मै तुमसे बस अपनी खता पूंछ रही हूँ .....गजब की अभिव्यकित ऐसा ही होता है प्यार .....
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
कनु जी अभिवादन बहुत अच्छा प्रयास आप का सब बिखरे फूलों को चुन लाइए यहाँ सजाइये ...सुन्दर रचना
तेरी खताओं का हिसाब नहीं मुनासिब
मै तुमसे बस अपनी खता पूंछ रही हूँ .....गजब की अभिव्यक्ति ---- ऐसा ही होता है प्यार .....
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बेहतरीन... बेमिसाल.... लाजवाब.....
न जानें क्यों ये रचनाएं अब तक ड्राफ्ट में रखी थीं....
अच्छा लिखती है | पर शब्दों पर कुछ ज्यादा गौर कीजिये | जैसे सरे आम को अलग अलग लिखा है | ये सरेआम इकठ्ठा होना चाहिए | जैसे आपने लिखा खुदा का साया | मेरी नज़र से खुदा के साथ साया शब्द उपयुक्त नहीं लगता | गौर फरमाइएगा | वैसे प्रयास अच्छा है |
Behtreen Panktiyan
सुन्दर रचनाएं....
सादर बधाई/ शुभकामनाएं...
bhaut hi sundar abhivaykti....
सभी ख्याल लाजवाब है मगर करवा चौथ वाले तो शानदार दिल को छू गये।
बहुत सुन्दर ख्याल...........करवा चौथ के खास कर |
गहराई लिए हुए सुंदर भाव,हमेशा की तरह कनु जी।
दिल के छूती पंक्तियाँ कविता अच्छी लगी ।
Har ek pankti main gahrai hai ..aap ki kavita ke liye liye khud ki likhi hue 2 line kahunga ..
Mohabbat aur Pyar main fark karna mere bas main nahi par itna jarur janta hun ki, isko pana har kisi ma naseeb bhi nahi .. kuki..
" kisi ki mohabbaton ne gahraiyon ko chu liya,
tho kisi ko gahraiyao main dhundhne par bhi ye khushi na mili"!
Jaha tak "Judai" ki bat hai , mere man ki 2 line kahunga..ki....
" Uska intazar na kar jo tujhe chod gaya, uska intazar na kar jo tujhe chod gaya,
Usko tho khud khuda ne bheja tha tujhe rulane ke liye"!
Awesome.. keep writing.. :)
ma pahli baar aapke blog par aaya hun , aapko padhkar laga ki mera yaha par aana sarthk huwa..
bahut badhiya likha hai aapne..
judayi or karwachoth ne vishes roop se parbhavit kiya..
subhkaamnayen....
jai hind jai bharat
mohabbat ,pyaar ,karvaa chauth waah...
pahle kyo blog nazar nahee aayaa kabhee ....
ठहरे पानी को
आइना समझा
बड़ी हसरत से
उसमें अपना अक्स
देखने लगा
एक कंकर गिरा
आइना टूट गया
सब तितर बितर
हो गया
सपना चूर चूर हुआ
मैं जहां था वहीँ
खडा रह गया
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
वाह !! क्या बात है ....बहुत बढ़िया, मुझे पड़कर बहुत अच्छा लगा..
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