Monday, September 19, 2016

अन्वित


बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट कर रही हूँ ..बेटे के लिए एक कविता लिखी है 

कितना सुन्दर है प्यारे बेटे तेरा इस जीवन में आना
शीतल कोमल पूर्ण चन्द्र सा मद्धम मद्धम मुस्काना
इस दुनिया के सब रिश्तों पर धीरे से भारी पड़ जाना
हौले हौले से मेरा सबसे प्यारा अन्वित (दोस्त) हो जाना

तुम मन के तारों में झंकृत हो साँसों में गुंजित हो  
सब बच्चे प्यारे होतें पर तुम ही एक मेरे शाश्वत हो 
टूटी तुतली बोली में कानों में धीरे से कुछ कह जाना
हौले हौले से मेरा सबसे प्यारा अन्वित(दोस्त) हो जाना

छोटे छोटे पैरों से जीवन की हर मंजिल चढ़ना
सुनना सबकी पर तुमको जो ठीक लगे वो ही करना
हँसते हँसते आगे बढ़ना खूब पल्लवित हो जाना
जो करना उस काम में सबके अन्वित (लीडर) हो जाना

तुम छोटे तुम बच्चे हो छोटी सी दुनिया तुम्हारी है
पर देखना सारी दुनिया जो सच में बहुत ही प्यारी है
हम भी गलत कहें ,रोकें तुम्हे तो अपनी बातों से समझाना
हम पीछे हट जाएँगे सच्ची,तुम हमारे अन्वित (लीडर)हो जाना   

सब माया है सब मोह है सब छोड़कर हमें जाना है
पर जब तक जीवन है तेरी मुस्कानों का फ़र्ज़ निभाना है
मुश्किल है इस रिश्ते का इस जन्म में सीमित हो जाना
मन को भाए तुमसे जन्मों का अन्वित(सम्बन्ध) हो जाना

जीवन की राहें मुश्किल है रास्तों में कितने रोडे है
दर्द के लम्हे ज्यादा है खुशियों के मौसम थोड़े हैं
मनका माला को जोड़ कर प्रेम का संचित हो जाना
हो सके तो धीरे से अपनेपन का अन्वित (रिश्ता जोड़ने वाला) हो जाना

दुनिया की अंधी दौड़ की होड़ में तुमको न झोकेंगे 
तू सोच समझकर मन से करना हम करने से न रोकेंगे 
दुनिया की नज़रों में उठकर क्या जीवन भर पछताना 
बस बेटा तू अपनी नज़रों में साबित हो जाना 
मेरे लिए मायने रखता है तेरा एक दिन अन्वित हो जाना 






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