अपना पसीना उनकी नज़रों में ख़राब है
आजकल नेताजी क्या कम नवाब है
उनके इत्र भी हमारी भूख पर भारी पड़े
खुशबुओं के दौर में रोटी का ख्वाब है
रेशमी शालू ,गुलाबी शाम के वो कद्रदान
आमजन की बेबसी का क्या जवाब है
मशहूर हो जाने को वो रोंदे हमारी लाश को
लाश हो जाना ही बस अपना सबाब है
रोशनाई ,जश्न उनकी जिंदगी का फलसफा
गरीबों की जिंदगी काँटों की किताब है
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी
आजकल नेताजी क्या कम नवाब है
उनके इत्र भी हमारी भूख पर भारी पड़े
खुशबुओं के दौर में रोटी का ख्वाब है
रेशमी शालू ,गुलाबी शाम के वो कद्रदान
आमजन की बेबसी का क्या जवाब है
मशहूर हो जाने को वो रोंदे हमारी लाश को
लाश हो जाना ही बस अपना सबाब है
रोशनाई ,जश्न उनकी जिंदगी का फलसफा
गरीबों की जिंदगी काँटों की किताब है
आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी