tag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post8931323334883938198..comments2023-09-04T07:32:40.112-07:00Comments on parwaz परवाज़.....: दिवाली और यादेंkanu.....http://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-36109409510746925382012-01-26T12:46:33.344-08:002012-01-26T12:46:33.344-08:00Hi.. very informative post.Hi.. very informative post.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-62778721266761625312011-11-13T21:48:39.832-08:002011-11-13T21:48:39.832-08:00पर्व-त्यौहार में जब भी पटना से दूर रहता हूँ तो घर ...पर्व-त्यौहार में जब भी पटना से दूर रहता हूँ तो घर की तमाम बातें, पुरानी यादें याद आती हैं..<br />बहुत अच्छे से अपनी यादों को संजोया है आपने!!abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-59500328344947316942011-11-13T12:19:19.688-08:002011-11-13T12:19:19.688-08:00♥
प्रिय कनुप्रिया जी
सस्नेहाभिवादन !
सबस...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><br /><br /><br /><br /><b><i> प्रिय कनुप्रिया जी </i></b> <br />सस्नेहाभिवादन !<br /><br />सबसे पहले दो पंक्तियां …<br /><b> यादों का इक झोंका आया , जाने कैसे बरसों बाद <br />पहले इतना रोये नहीं थे , जितना रोये बरसों बाद </b><br />आपकी पोस्ट पढ़ते हुए आधी रात के इन नीरव पलों में पलकें नम हो आई हैं …<br /><br />मैं अपने उसी घर में हूं , जहां जन्मा … , बड़ा हुआ… , और अब अपनी धर्मपत्नी और संतानों सहित बहुत सुख से जीवनयापन कर रहा हूं …<br /><br /><b> </b>बचपन और किशोरावस्था की अनुभूतियां आप जैसी ही रही मेरी भी … बहुत शिद्दत से याद हो आया वह ज़माना… … … <br /><br />…और दरवाज़ों के पीछे दीवारों पर आप द्वारा अपना नाम लिखना , <b> </b> फिर … आपके विवाह के लिए दूजे शहर जाना , नारियल … , सब परिवार वालों का ही घर छोड़ देना , शहर ही छूट जाना …<b> </b><br /> सब कुछ मुझ जैसे भावुक हृदय को रुलाने के लिए पर्याप्त है …<br /><br />…फिर घर छोड़ कर अनजान घर-परिवार के साथ सामंजस्य बिठाना तो हर लड़की , हर औरत की नियति है न !! <br /><b> नारी तू सचमुच महान है !</b><br /><br />इस पोस्ट के लिए मेरा कमेंट कितना भी विस्तृत हो जाए … अधूरा ही रहेगा … … …<br /><b> हृदय की गहराई से मंगलकामनाओं सहित…</b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-27216467620041115172011-11-12T04:43:24.251-08:002011-11-12T04:43:24.251-08:00दीवाली मेरा भी प्रिय त्योहार है। इसमें घर के उन जग...दीवाली मेरा भी प्रिय त्योहार है। इसमें घर के उन जगहों की भी सफ़ाई हो जाती है जहां साल में एक बार भी शायद ही हुई हो।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-2348807355651639822011-11-11T08:16:03.522-08:002011-11-11T08:16:03.522-08:00सच कहा कनु, एक बार मोह में पड़ जाओ तो निकलना मुश्क...सच कहा कनु, एक बार मोह में पड़ जाओ तो निकलना मुश्किल हो जाता है,पर न जाने क्यूँ मेरा मन ये नहीं मानता कि मोह ख़राब चीज़ होती है...क्योंकि वो मोह ही तो है जो हमें जुड़ना सिखाता है,स्नेह देना सिखाता है...और सबसे बड़ी बात ये मोह नहीं होता तो आपकी ये खूबसूरत पोस्ट हमें पढने को कैसे मिलती.<br />पोस्ट अच्छी लगी...फिर आऊंगी.Smriti Sinhahttps://www.blogger.com/profile/00670824219525092017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-89879971058206081602011-11-11T03:05:36.059-08:002011-11-11T03:05:36.059-08:00भूली-बिसरी यादों और दर्द को उभार दिया .अच्छा लिखा ...भूली-बिसरी यादों और दर्द को उभार दिया .अच्छा लिखा है.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-30654812757955710032011-11-10T08:09:41.110-08:002011-11-10T08:09:41.110-08:00कनु जी, जिस प्रवाह के साथ आपने यादों को शब्दों में...कनु जी, जिस प्रवाह के साथ आपने यादों को शब्दों में बांधा है, वो काबिले-तारीफ़ है...बधाई.<br />यहां तक कि...<br />वर्तनी की कुछ त्रुटियां भी सहज रूप में नज़र अंदाज़ हो जाती हैं. :)शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-71453540304206904492011-11-10T02:36:21.384-08:002011-11-10T02:36:21.384-08:00बड़ी ही सहजता के साथ घर के लगाव को प्रस्तुत किया है...बड़ी ही सहजता के साथ घर के लगाव को प्रस्तुत किया है.जिस घर में बचपन बीता हो उससे ऐसा मोह होना स्वाभाविक ही है.आपकी पोस्ट भावुक कर गई. एक पुराने गीत की पंक्तियाँ याद आ गई :-<br /><br />कल चमन था आज क्यूँ सहरा हुआ<br />देखते ही देखते ये क्या हुआ.<br />सोचता हूँ अपने घर को देख कर<br />हो न हो ये है मेरा देखा हुआअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-74529014692413368222011-11-10T02:26:40.089-08:002011-11-10T02:26:40.089-08:00जिस घर में बचपन बीता होता है वह घर हमेशा मन में बस...जिस घर में बचपन बीता होता है वह घर हमेशा मन में बसा रहता है। सपनों में भी वहीं घर आता है। मेरे साथ तो यही होता है, आजतक सपने में अपना मैके वाला घर ही आता है। बहुत अच्छी पोस्ट।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-19984979360068361442011-11-10T00:20:43.038-08:002011-11-10T00:20:43.038-08:00bahut bhavna poorn ,marmik post man ko kamjor to k...bahut bhavna poorn ,marmik post man ko kamjor to kargayee par acchi bhilagi/nari man ka ek dastawez sa ban gaya aaapka aalekh.<br />sunder lekh likh leti hai aap.meri hardik shubhkamnaye.lekin itna gahrai se mat likh keejiye ,kai baar man tak nam ho jata hai.aabharडॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07345306084462566690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-49824648149005098342011-11-09T18:35:01.793-08:002011-11-09T18:35:01.793-08:00जाने क्या-क्या छूट जाता है, बस यादें ही बचती हैं।जाने क्या-क्या छूट जाता है, बस यादें ही बचती हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-74173154045046305982011-11-09T05:42:18.391-08:002011-11-09T05:42:18.391-08:00बहुत ही भावनात्मक पोस्ट लिखी है आपने। ये यादें ही ...बहुत ही भावनात्मक पोस्ट लिखी है आपने। ये यादें ही हैं जो हमारे जहन से कभी नहीं मिटती। बस अच्छी यादों को इसी तरह अपने साथ रखिये। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-60987130696986969292011-11-09T04:34:55.422-08:002011-11-09T04:34:55.422-08:00यादें दिल में सदा महफूज़ रहती हैं...!यादें दिल में सदा महफूज़ रहती हैं...!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-85062242103182638862011-11-09T02:27:29.403-08:002011-11-09T02:27:29.403-08:00भावमय करती प्रस्तुति ।भावमय करती प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-512422699406338462011-11-09T02:27:23.712-08:002011-11-09T02:27:23.712-08:00आपका लेख पढ़ कर मुझे इफ्तिखार आरिफ साहब का एक शेर ...आपका लेख पढ़ कर मुझे इफ्तिखार आरिफ साहब का एक शेर याद आ गया है:-<br />मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर (भरोसे मंद)कर दे <br />मैं जिस मकान में रहता हूँ उसको घर कर दे <br /><br />घर वोही होता है जिसमें लोग दिल से रहते हैं...जो सिर्फ ईंट पत्थर का नहीं बना होता जिसमें इंसानी ज़ज्बात जड़े रहते हैं...अपना घर छोड़ने का दुःख बयाँ नहीं किया जा सकता...आपने इस तकलीफ को बहुत सार्थक शब्द दिए हैं...मेरी बधाई स्वीकार करें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-79596529434717972462011-11-09T02:15:16.002-08:002011-11-09T02:15:16.002-08:00भावुक कर दिया आपकी पोस्ट ने।
गजब की लेखनी।
सच म...भावुक कर दिया आपकी पोस्ट ने। <br />गजब की लेखनी। <br />सच में पुरानी यादें कभी नहीं भूलतीं.....Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-26472818527554109232011-11-09T02:00:02.985-08:002011-11-09T02:00:02.985-08:00सुन्दर प्रस्तुतिसुन्दर प्रस्तुतिचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-29736690464988635042011-11-09T01:30:42.672-08:002011-11-09T01:30:42.672-08:00क्या बात है.....यार तुम जूनियर तो हो ही मेरी मगर म...क्या बात है.....यार तुम जूनियर तो हो ही मेरी मगर मेरी और तुम्हारी तो भावना यें भी word to word मिलती हैं। मेरा भी वो घर छूट गया जिसमें मैंने अपनी ज़िंदगी के 22 साल गुज़ारे छूटा क्या आब तो टूट भी गया :( सरकार द्वारा मेरी यादें हमेशा के लिए मिटा दी गईं....अब अगर कुछ है यादों के नाम पर तो वो सिर्फ और सिर्फ मेरे दिल में हैं। आज सोचती हूँ, तो लगता है कभी-कभी यह सरकारी मकान वाला हिसाब भी अच्छा नहीं खास कर बच्चों के लिए तो ज़रा भी नहीं, क्यूंकि जिस किसी का भी बचपन जहां बीतता है वहाँ से उसके जीवन जुड़ा होता है। आज तुम्हारे इस लेख को पढ़कर ऐसा लगा मानो तुम मेरे ही ज़िंदगी को ब्यान कर रही हो....Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-73333144366739149552011-11-09T00:08:04.632-08:002011-11-09T00:08:04.632-08:00भावुक कर देने वाली पोस्ट...भावुक कर देने वाली पोस्ट...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7688050649114501506.post-66472915041497555642011-11-08T22:57:26.567-08:002011-11-08T22:57:26.567-08:00अपना काम स्वयं करने का आनन्द ही निराला है।अपना काम स्वयं करने का आनन्द ही निराला है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com